Friday 24 February 2012

ये राजनीति नहीं कुछ और है

अगर इन चार पंक्तियों में सच्चाई है तो सभी भारतीय युवा मुझे सूचित करें
राज महलों की तरफ जाएँ न फरियादें
पत्थरों के पास अभ्यंतर नहीं होता
ये सियासत की तवायफ का दुपट्टा है
ये किसी के आंसुओ से तर नहीं होता- डॉ शिव ओम अम्बर